‘जलमेव यस्य, बलमेव तस्य’
“जो समुद्र पर नियंत्रण रखताहै वह सर्वशक्तिमान है।”
NAVY का पूरा अर्थ नॉटिकल आर्मी ऑफ वालंटियर येओमेन है।
भारतीय नौसेना दिवस 2023 का थीम “समुद्री क्षेत्र में परिचालन दक्षता, तत्परता और मिशन उपलब्धि” है । यह थीम समुद्री क्षेत्र में परिचालन दक्षता, तैयारियों और मिशन की उपलब्धि को बनाए रखने, देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने और समुद्री खतरों के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय नौसेना के समर्पण पर प्रकाश डालती है।
भारतीय नौसेना मुख्य रूप से तीन भागों (वेस्टर्न नेवल कमांड, ईस्टर्न नेवल कमांड तथा दक्षिणी नेवल कमांड) में बंटी है। वेस्टर्न नेवल कमांड का मुख्यालय मुंबई में, ईस्टर्न नेवल कमांड का विशाखापत्तनम में और दक्षिणी नेवल कमांड का कोच्चि में है। वेस्टर्न तथा ईस्टर्न कमांड ऑपरेशनल कमांड है, जो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी को संभालती है जबकि दक्षिणी नेवल कमांड ट्रेनिंग कमांड है।
केरल स्थित एझिमाला नौसेना अकादमी एशिया की सबसे बड़ी नौसेना अकादमी है।
राष्ट्रपति भारतीय नौसेना के सुप्रीम कमांडर हैं।
वॉइस एडमिरल राम दास कटारी 22 अप्रैल 1958 को भारतीय वायुसेना के पहले भारतीय चीफ बने थे।
भारतीय नौसेना में स्थायी कमीशन पाने वाले सब-लेफ्टिनेंट डी एन मुखर्जी थे।
भारतीय नौसेना का नीति वाक्य है ‘शं नो वरूणः’ अर्थात् जल के देवता वरुण हमारे लिए मंगलकारी रहें।
मध्ययुगीन तमिलनाडु का चोल राजवंश 300 ईसा पूर्व से 1279 ईस्वी तक अपने समय की सबसे बड़ी नौसैनिक शक्तियों में से एक के रूप में जाना जाता था। चोल नौसेना , चोल कादरपदाई में देश के कई अन्य नौसेना-हथियारों के साथ-साथ चोल साम्राज्य की नौसैनिक सेनाएं शामिल थीं। चोल नौसेना ने चोल तमिल साम्राज्य के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ईस्ट इंडिया कम्पनी ने भारतीय नौसेना की स्थापना वर्ष 1612 में ब्रिटिश व्यापारियों के जहाजों की सुरक्षा के लिए ‘ईस्ट इंडिया कम्पनी मरीन’ के रूप में की थी।
वर्ष 1686 तक ब्रिटिश व्यापार पूरी तरह से बॉम्बे में स्थानांतरित हो जाने के बाद इस दस्ते का नाम ‘ईस्ट इंडिया मरीन’ से बदलकर ‘बॉम्बे मरीन’ कर दिया गया, जिसने मराठा, सिंधी युद्ध के साथ-साथ वर्ष 1824 में बर्मा युद्ध में भी हिस्सा लिया था।
वर्ष 1892 में इसका नाम ‘रॉयल इंडियन नेवी’ रखा गया।
देश की आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत के लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के बाद इसका नाम रॉयल इंडियन नेवी से बदलकर इंडियन नेवी भारतीय नौसेना कर दिया गया।
भारतीय नौसेना वर्तमान में विशालकाय और एडवांस फीचर से लैस अपने युद्धक पोतों, सबमरीन्स इत्यादि के बलबूते दुनियाभर में चौथे स्थान पर है। भारतीय नौसेना के बेड़े में दो विशाल विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य तथा आईएनएस विक्रांत के अलावा अनेक अत्याधुनिक एयरक्राफ्ट, वॉरफेयर शिप, सबबमरीन तथा अन्य सैन्य प्रतिरोधक युद्ध सामग्री हैं।
यह गर्व की बात है कि हिंद महासागर में ड्रैगन के कब्जे की रणनीति को नाकाम करने के लिए भारत अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए लगातार विध्वंसक युद्धपोतों और पनडुब्बियों के निर्माण में लगा है। इसी कड़ी में आईएनस कलवरी, खंडेरी और आईएनएस करंज के बाद स्वदेशी पनडुब्बी आईएनएस वेला को नौसेना में शामिल किया जा चुका है, जो अत्याधुनिक मशीनरी और टेक्नोलॉजी के साथ-साथ घातक हथियारों से भी युक्त है। इस सबमरीन को ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है, जो दुश्मन को उसकी मौत की भनक तक नहीं लगने देती।
नौसेना दिवस असल में भारतीय नौसेना के बनने का दिन नहीं है बल्कि ये तो एक ऐसा गौरवान्वित ऐतिहासिक दिन है जिसमें भारत की तरफ से पाकिस्तान के कराची नेवल हेडक्वार्टर पर हमला ऑपरेशन ट्राइडेंट (Trident) या ऑपरेशन त्रिशूल करके पूरा किया था।
यह हमला 4-5 दिसंबर 1971 की रात में हुआ था और इसमें पाकिस्तानी जहाजों का बहुत नुकसान हुआ था, अतः इसी गौरवशाली इतिहास के कारण 4 दिसम्बर को हम नौसेना दिवस मनाते है।
भारतीय नौसेना का पहला स्वतंत्र मिशन 1961 में गोवा की मुक्ति के दौरान पुर्तगाली नौसेना के खिलाफ था।
भारत के नौसैनिक बलों ने द्वितीय विश्व युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत से यूनाइटेड किंगडम के लिए कच्चे माल और आपूर्ति को बनाए रखने में बड़ी संख्या में भारतीय मर्चेंट सीमेन और मर्चेंट जहाज सहायक थे।
मिसाइल ब्रह्मोस, दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है जिसकी गति (वस्तु की गति और ध्वनि की गति के बीच का अनुपात 2.8 – 3.0 ) है। यह भारत को अपनी सेना, नौसेना और वायु सेना में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों वाला एकमात्र देश बनाता है।
छत्रपति शिवाजी राजे भोसले को भारतीय नौसेना का पितामह माना जाता है। उन्होंने समुद्री व्यापार की रक्षा के लिए कोंकण और गोवा के तट पर एक मजबूत नौसेना का निर्माण किया था।
शिवाजी ने 1674 में मराठा शासन ने नेवी फोर्स की नींव रखी। शिवाजी की फोर्स में 5,000 सैनिक थे।
INS (इंडियन नेवल शिप) विराट नौसेना का पहला विमानवाहक पोत था और दुनिया का सबसे पुराना विमानवाहक पोत था।
INS अरिहंत एक 6,000 टन का पोत है और भारत के परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों में प्रमुख जहाज है। आईएनएस अरिहंत पहली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है जिसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से एक देश के इतर किसी अन्य देश द्वारा बनाया गया है।
26/11 मुंबई हमलों के बाद मार्च 2009 में गठित सागर प्रहरी बाल (SPB), भारतीय नौसेना की इकाई है जो भारत के तटीय जल को गश्त करने के लिए जिम्मेदार है।
MARCOS या मरीन कमांडो, उपनामित मैग्माच, भारतीय नौसेना के विशेष अभियान (बहुत ही गुप्त) इकाई हैं। वे उन आतंकवादियों से व्यापक रूप से भयभीत हैं जो उन्हें अली दढ़वाली फौज के नाम से पुकारते हैं क्योंकि उनकी दाढ़ी वाली वेशभूषा हैं। उन्होंने मुंबई के 26/11 हमलों के दौरान बंधकों के बचाव मिशन के दौरान एक बड़ी भूमिका निभाई थी।
MARCOS को कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है कि वे किसी भी इलाके में ऑपरेशन कर सकते हैं। वे प्रशिक्षण और भर्ती के दौरान 90% ड्रॉप-आउट दर का सामना करते हैं।
दुनिया में केवल दो नौसेना एरोबैटिक टीमें हैं और उनमें से एक हमारे देश की नौसेना है। इसे सागर पवन के नाम से जाना जाता है।
भारतीय नौसेना जीसैट 7 नामक एक बहु-ब्रांड संचार उपग्रह का उपयोग करती है। यह भारतीय नौसेना को नीले पानी की क्षमताओं को प्राप्त करने में सहायता करता है, जिसका अर्थ है कि एक समुद्र के किनारे का बेड़ा अपने देश के होमपोर्ट से दूर उच्च समुद्रों पर काम करने में सक्षम है।
भारतीय नौसेना ने उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव पर एक अभियान सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
भारतीय नौसेना माउंट एवरेस्ट पर एक अभियान पर एक पनडुब्बी भेजने वाली पहली नौसेना थी।
भारत लगातार बंदरगाह के दौरे और आपदा राहत प्रदान करने जैसे मानवीय मिशनों पर जाकर अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को बढ़ाने के लिए अपनी नौसेना का उपयोग करता है।
भारतीय नौसेना को 2027 तक 250 जहाजों और 500 विमानों की शक्ति होने की सम्भावना है।
भारत में 2025 तक INS विशाल के रूप में अपनी पहली Super Carrier होगा।
जून 2019 की सूचना के अनुसार भारतीय नौसेना के पास 67,252 सक्रिय सैनिक और 75,000 रिजर्व सैनिक हैं और 150 जहाजों और पनडुब्बियों का बेड़ा हैं और 300 विमान हैं।
अंग्रेजी परंपरा के अनुसार, जहाजों को “शी” कहा जाता है। यद्यपि, महिलाओं को नौसेना के जहाजों पर चढ़ने की अनुमति देना लंबे समय तक दुर्भाग्य माना जाता था। ऐसा करना एक भयानक तूफान को आमंत्रित करेगा जो जहाज को नष्ट कर देगा।
1971 से पूर्व प्रत्येक नौसैनिक और अधिकारियों की नित्यप्रति दाढ़ी बनाना जरूरी था, बाद में नौसेना में दाढ़ी-मूँछ रखने की अनुमति दी जाने लगी है।
कमांडर प्रेरणा देवस्थली भारतीय नौसेना के युद्धपोत, भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े की कमान संभालने वाली भारतीय नौसेना की पहली महिला अधिकारी होंगी।
वर्तमान में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार हैं।
आइये, आज हम अपने गाँव, शहर, मुहल्ले, सोसायटी में जहाँ कहीं भी सेवारत या निवृत नौसैनिक या अधिकारी रहतें हों या उनका परिवार रहता हो, उनसे मिलने अवश्य जायें, पुष्पगुच्छ देकर उनका सम्मान करें, उनकी कुशलक्षेम पूछें और उनका मनोबल बढ़ायें ताकि उनकी देश सेवा अभिनन्दित हो और कहें कि हमें उनपर गर्व है!_
शुभ भारतीय नौसेना दिवस!!
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